Sunday, October 21, 2018

अकल्पनीय फैसला

11 अक्तूबर 2018 का दिन हरियाणा के लिए एक ऐसी तारीख जब हिसार के कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जो कल्पना से पुर्णतः परे है।

यह फैसला संत रामपाल जी महाराज तथा उन चौदह अनुयायी को हत्या का दोषी माना गया।
सारे सबूत-गवाहो को दरकिनार करते हुए यह कहाँ गया कि आश्रम में हुई छःमौत बंधक बनाने से हुई है।
शिकायतकर्ता ने कोर्ट में एफिडेविव भी दिया है कि पुलिस ने उससे गलत तरिके से हस्ताक्षर करवाये है और संतरामपाल जी महाराज निर्दोष है।

यह जब साफ हो गया कि शिकायत ही झुठी है तो फिर सजा और केस का तो कुछ काम ही नही बचता है।
कोर्ट ने संतरामपाल जी महाराज को बाइज्ज़त बरी कर देना चाहिए था,लेकिन भ्रष्ट हरियाणा सरकार और हरियाणा के भ्रष्टा पुलिस प्रशासन को यह मंजुर न था।

आज जब संत रामपाल जी महाराज को कोर्ट उस गुनाह की सजा दे रही जो उसने किया ही नही क्या कोर्ट में जो मरने वालो की फोरेंसिक रिपोर्ट नही आयी होगी जो चीख़ चीख़ कर कह रही है की इन मौतो का कारण पुलिस प्रशासन द्वारा छोड़े गये एक्सपायर आंसु गैस के गोले है,फिर भी यदि संतरामपाल जी महाराज दोषी है,तो उसमें दोषी उनके अनुयायी भी है जो वहां अपने स्वार्थ के लिए परमात्मा प्राप्ति के उद्देश्य से जाते थे,हम सब भी इस सजा के उतने ही हकदार है जितने की संत रामपाल जी महाराज!

संत रामपाल जी महाराज किसी को घर घर जा कर नही बुलाते थे भाई सत्संग में चलो!
आप अपनी मर्जी से उपस्थित हुऐ है।
उसी तरह मरने वाले तथा उनके परिजन भी आध्यात्मिक लाभ के लिए आश्रम में उपस्थित हुऐ थे।
जब संत रामपाल जी महाराज ने किसी अनुयायी को बंदी बनाया ही नही था तो इन मौतो का जिम्मेदार उनको बनाने में सरकार तथा पुलिस प्रशासन की पुरी तरह से मिली भगत है।

आप खुद समझदार है,अपनी समझ से खुद निर्णय ले कि
क्या शिकायत करता के शिकायत वापस लेने के बाद भी किसी को गुनाहगार ठहराया जा सकता है?

क्या सच में देश की निचली अदालतों में भ्रष्टाचार ने इतने पैर पसार रखे है कि एक जज जो अपनी कुर्सी बचाने के लिए सरकार के दबाव में गलत फैसला नही सुनाना चाहता हैं उसका तबादला कर के एक भ्रष्ट जज को उसकी जगह बैठाया जा सकता है?

''यदि इन दोनो में से एक का जवाब भी मिल जाए तो समझ लेना की आप सत की राह पर है।''